स्टार्टअप्स की बढ़ती संख्या Google के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रही है, कंपनी की Play Store के लिए नई बिलिंग नीतियों को चुनौती दे रही है।
स्टार्टअप्स, जिनमें Unacademy, Kuku FM, TrulyMadly, और QuackQuack शामिल हैं, ने यह तर्क देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय का रुख किया है कि Google की नीतियां अनुचित और भेदभावपूर्ण हैं। उनका कहना है कि Google Play Store के अपने नियंत्रण का उपयोग उन्हें अपनी बिलिंग प्रणाली का उपयोग करने के लिए मजबूर करने के लिए कर रहा है, जिससे इन-ऐप खरीदारी में 30% की कटौती होती है।
स्टार्टअप Google को Play Store से अपने ऐप्स को हटाने से रोकने के लिए निषेधाज्ञा मांग रहे हैं। वे Google की नीतियों के परिणामस्वरूप उन्हें हुए नुकसान के लिए हर्जाना भी मांग रहे हैं।
यह पहली बार नहीं है कि स्टार्टअप्स ने गूगल की बिलिंग नीतियों को चुनौती दी है। 2020 में, भारतीय स्टार्टअप्स के एक समूह ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के पास एक शिकायत दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि Google की नीतियां प्रतिस्पर्धा-विरोधी थीं। सीसीआई अभी भी शिकायत की जांच कर रही है।
Google ने अपनी नई बिलिंग नीतियों का बचाव करते हुए कहा है कि वे उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा और एक निष्पक्ष और स्तरीय खेल मैदान सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं। कंपनी ने यह भी कहा है कि वह स्टार्टअप्स के साथ उनकी जरूरतों को पूरा करने वाले समाधान खोजने के लिए काम करने को तैयार है।
इस कानूनी लड़ाई के परिणाम का एंड्रॉइड ऐप बाजार के भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। यदि स्टार्टअप सफल होते हैं, तो यह Google को अपनी बिलिंग नीतियों को बदलने के लिए बाध्य कर सकता है, जिससे डेवलपर्स और उपभोक्ताओं को समान रूप से लाभ होगा।
यहां कुछ अतिरिक्त विवरण दिए गए हैं:
- मद्रास उच्च न्यायालय ने Google को Play Store से Matrimony.com के ऐप्स को हटाने से रोकने के लिए एक अंतरिम निषेधाज्ञा पहले ही दे दी है। मामला अभी भी चल रहा है।
- डिज्नी+ हॉटस्टार भी गूगल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रहा है। कंपनी को कथित तौर पर Google से नोटिस मिला है और वह Play Store से इसे हटाने पर रोक लगाने की मांग कर रही है।
- गूगल ने कहा है कि यह “डेवलपर्स के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि उनकी जरूरतों को पूरा करने वाले समाधान ढूंढे जा सकें।” हालाँकि, कंपनी ने अभी तक कोई विशिष्ट समाधान पेश नहीं किया है।
अब देखना यह होगा कि यह कानूनी लड़ाई किस रूप में सामने आती है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि स्टार्टअप बिना लड़ाई के हार मानने वाले नहीं हैं।